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मुठी एक डँड़वा गौ कोसिका अल्पा गे बय सबा / अंगिका
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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मुठी एक डँड़वा गौ कोसिका अल्पा गे बयसबा
गे भुइयाँ लोटे नामी नामी केश
कोसी माय लौटे छौ केश ।
केशबा सम्हारि कोसी जुड़बा गे
बन्हाओल-जुड़बा गे बन्हाओल
कोसी गे खोपबा कुहुकै मजूर ।
उतरहि राज से एैले हे रैया हो रनपाल
से कोसी के देखि देखि सूरति निहारै
सूरति देखि धीरज नै रहे धीर ।
किए तोरा कोसिका चेका पर गढ़लक,
किए जे रूपा गढ़लक, सोनार
नै हो रनपाल चेका पर गढ़लक
नै रूपा गढ़लक सोनार
अम्मा कोखिया हो रनपाल हमरो जनम भेल
सूरति देलक भगवान से हमरों सूरतिया ।
गाओल सेवक जन दुहु कर जोड़ी
गरूआ के बेरि होहु ने सहाय ।