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मुदा जीबै छी / शिव कुमार झा 'टिल्लू'
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जीवनक डोरि फुजि उड़ल व्योम मे
कातर प्राण मुदा जीबै छी !
सड़ल वसन पजरल अछि आंगुर
ल' गलल ताग गुदरी सीबै छी ..
ककरो बारी बेली पुलाएल
ककरो पोखरि मे भैंटक लावा
हमरा घरक परथनो गिल्ल भेल
आँचक बिनु सुन्न अछि तावा
कागतक मुद्रा केँ बीड़ी बना क'
कोंढ़सँ लेसि-लेसि पीबै छी ..
लाल रंग शोणित सन टपकय
पीत कुटिल पिलहा बनि धधकय
कुपित होलिका छाँह देखाबथि
बड़ेरी केँ काग-भुसुंडी हबकय
अग्निदेवक देल हुथ्थ डांग सँ
सुधा केँ खोड़ि-खोड़ि जरबै छी ...
कटाह वसंत कहियो नहि आबथि
राखथु अपने संग विधाता
कुसुमित रहय सभक आँगन घर
हँसि-हँसि कौड़ी खेलथि पुनीता
अपन संत्रास केँ हियामे नुका क'
सबहक सुखक कामना करै छी