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मुद्दत से उगाया जाता है इन्हें / नित्यानंद गायेन
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कुछ साये
ऐसे भी होते हैं
जिनका कोई
चेहरा नहीं होता
नाम नहीं होता
केवल
भयानक होते हैं
नफ़रत की बू आती है
भय का आभास होता है
कहीं भी हो सकते हैं
अयोध्या में
गोधरा में
इराक या अफ़ग़ानिस्तान में
किसी भी वक़्त
इन्सानी ख़ून से
रंगे हुए हाथ
इनकी पहचान है
कोई मज़हब नहीं इनका
ये साये
ख़ुद के भगवान् होते हैं
ख़ुद नहीं उगते ये
मुद्दत से उगाया जाता है इन्हें