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मुनिया तू शैतान बड़ी / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
मुझे चिढ़ाकर पूछा करते
मुझसे मेरे दादाजी-
‘बोलो, तुमको कौन है प्यारा
मम्मीजी या पापाजी ?’
क्या जवाब दूँ सोच-सोचकर
होती मुझको हैरानी,
मम्मी की मैं रानी बेटी
पापा की बिटिया रानी।
मैं कह देती- ‘मम्मी प्यारी,
प्यारे-प्यारे पापाजी,
मम्मी-पापा से भी प्यारे
लेकिन मेरे दादाजी।’
दादाजी के होंठों पर तब
आ जाती मुस्कान बड़ी,
कान पकड़कर मेरा कहते-
‘मुनिया तू शैतान बड़ी।’