मुन्ना शहर से मौसम की खबर लाया है / मासूम शायर
मुन्ना शहर से मौसम की खबर लाया है
कहता है गर्मी में इस बार सड़कें पिघल जाएँगी
सूरज को सहते सहते तार-कोल परेशान हो गया है
उस का अब रोड छोड़ के किनारों पर बह जाना
मात्र एक घटना है कोई आश्चर्य नहीं है
मुन्ना झूठ नहीं कहता
गर्मी अब पहले से अधिक हो गयी है
ये भी कहता है मुन्ना
सर्दी में इस बार भावनाएँ जम जाएँगी
सर्द रात से ठंडे ठंडे चेहरे होंगे
और बर्फ के ढेले सी पथराई आँखें
फिर कौन किस से रिश्ता बनाएगा
मुन्ना झूठ नहीं कहता
सर्दी का हर रंग
चेहरों पर उतार जाएगा
यह भी खबर है कि सावन में इस बार
सावन गीत नहीं गाए जाएँगे
सावन में इस बार बादल अँगारे बरसाएँगे
यदि नयनो का नीर सूख सकता है तो
बादलों पर आरोप कैसा
सावन में कुछ बरसना तो आवश्यक है
इस बार अँगारे ही सही
ये भी कहा है मुन्ना ने
बसंत में चारों तरफ दर्द के फूल खिलेंगे
गमलों में किसी ने ज़ख़्मों की कलम लगा दी थी
तो गुलाब कहाँ से मिलेंगे
इसी लिए बसंत में चारो तरफ बस दर्द के फूल खिलेंगे
बसंत तो केवल फूल देता है
फूलों के नाम नहीं देता
मैं मौन हूं
न मौसम की प्रतीक्षा है
न मुन्ना की बातों से परेशानी
वो तो इस बार मुन्ना शहर से आया है
वर्ना गाँव में खबरें नहीं बस मौसम आते हैं
हर बार हमें
मौसम शहर की खबर देता था
इस बार हमें शहर ने मौसम की खबर दी है
यह भी कहता है मुन्ना
शायद ये अंतिम मौसम होगा
मुन्ना शहर में रहता है ठीक ही कहता होगा