भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मुफ़्त / ओरहान वेली
Kavita Kosh से
मुफ़्त में हम जीते हैं, मुफ़्त में
हवा मुफ़्त, बादल मुफ़्त
नदी-पहाड़ मुफ़्त
बारिश-कीचड़ मुफ़्त
सभी कारें देखना
सभी शो-केसों को देखना
फ़िल्महालों के दरवाज़े भी मुफ़्त
पर पनीर और रोटी
मुफ़्त नहीं
हाँ, समुद्री पानी मुफ़्त
सिर की क़ीमत पर आज़ादी
हाँ, ग़ुलामी मुफ़्त
मुफ़्त में जीते हैं हम, मुफ़्त में
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय