हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई
तेरे बाबा हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई
तेरे ताऊ हजारी ने बड़ी दूरों से मंगवाई
तेरे मन पसंद बनड़े ये घोड़ी क्यूं नहीं आई
मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई
तेरे बाब्बू हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई
तेरे चाचा हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई
तेरे मन पसंद बनड़े ये घोड़ी क्यूं नहीं आई
मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई
तेरे फूफा हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई
तेरे मौसा हजारी ने बड़ी दूरों से मंगवाई
तेरे मन पसंद बनड़े ये घोड़ी क्यूं नहीं आई