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मुबाहसों में हर इक शख़्स मुब्तिला होगा / रंजना वर्मा

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मुबाहसों में हर इक शख़्स मुब्तिला होगा
हमीं होंगे वहाँ तब कोई फ़ैसला होगा
 
वो पूछ लेता किसी से भी रास्ता घर का
करे क्या राह में कोई नहीं मिला होगा
 
जुबां शिरीन रही प्यार भी उंडेल गया
किसी ने आ के तुझे इस तरह छला होगा

ये उस के पांव के छालों से साफ़ ज़ाहिर है
वो पत्थरों पे बहुत दूर तक चला होगा
 
जरा उल्फ़त की नज़र से तुम्हीं निहार तो लो
मिटेगा दरमियान जो भी फ़ासला होगा

जो आँधियों में भी बेख़ौफ़ चला करता है
जरूर वो बुरे हालात में पला होगा

ये सुर्ख सुर्ख चश्मे नम बता रही है हमें
कि हसरतों का दिया रात भर जला होगा