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मुमकिन नहीं अब राज़ रहे राज़े-महब्बत / मेला राम 'वफ़ा'
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मुमकिन नहीं अब राज़ रहे राज़े-महब्बत
अब ज़ब्ते-महब्बत भी है गम्माज़े-महब्बत
उस शोख़ को भी आ गये अंदाज़े-महब्बत
ऐजाज़े-महब्बत है ये ऐजाज़े-महब्बत
ऐजाज़-दर-ऐजाज़ है ऐजाज़े-महब्बत
बे बाल-ओ-परी पर भी ये परवाज़े-महब्बत
क्या पूछते हो रिफ़अते-परवाज़े-महब्बत
ता औजे-सुरैया है तग-ओ-ताज़े-महब्बत
मक़सूदे तग-ओ-ताज़े-महब्बत है तगो-ताज़
मंज़िल नहीं मकसूदे-तगो-ताज़े-महब्बत
बा यूरिशे आलामो ब-नासाज़िए अय्याम
आईना-ए-अय्याम है आगाज़े-महब्बत
आगाज़े-महब्बत की कहानी है बस इतनी
आंखें लड़ी और हो गया आग़ाज़े-महब्बत
आ बस्ता है दिल में कोई ना-दीदा परी रू
हो जाता है यूँ भी कभी आग़ाज़े-महब्बत
नादान न बन उहदा-बर-आ हो न सकेगा
उस नाज़े-मुजस्सम से 'वफ़ा' नाज़े-महब्बत।