भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुरझाने से पहले / नरेश अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ये बहुत सारे फूल
सड़क़ के आस-पास
एक पेड़ पर खिले हुए
मुरझाने से पहले
बाँट चुके होते हैं
हजारों लोगों को
अपनी खुशियाँ ।