मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मुरली किछु किये हो श्याम मोरा ज्ञान हरे हो
वृन्दावन केर कुंज गलिनमे, श्याम चराबथि गाय
मुरली टेरि फिरथि यमुना तट, माहि गृह रहलो ने जाय
विरह उठल मुरली धुनि सुनि-सुनि, चिथ मोर चंचल डोल
कंठ सुखाय दरद होय हियमे, मुखहुँ न आबय बोल
काहि कहब किछु भाव न सखि हे, टोना कयल गोपाल
घर दारुण ननदो गरिआबथि, प्रीति लागल नन्दलाल
साहेबराम रास वृन्दावन, तोहें छाड़ि भाव ने आन
जहाँ बसथि त्रिभुवनपति ठाकुर, लागल तहि ठाँ ध्यान