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मुलुक-मुलुक में जहाँ गरीबी आतंकी रोॅ फेरा / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
मुलुक-मुलुक मेँ जहाँ गरीबी आतंकी रोॅ फेरा
जाति-जाति मेँ, धर्म-धर्म मेँ जहाँ लड़ै सब भाय
पंथ-पंथ इक दुसरा केॅ देखै छै बनी कसाय
दूर-दूर तांय सुख-शांति रोॅ कहीं नै लागै डेरा
समझोॅ ब्रह्मभूत छै खाड़ोॅ लै केॅ मौत रोॅ ठीका
ओकरे जगह-जगह पर बुनलोॅ व्याकुल तालीबान
अब तांय नै उबरेॅ पारलोॅ छै कै अफगानिस्तान
दोस्त मुलुक-मलकाठोॅ पर के दुबड़ी-सिन्दूर-टीका
आय इराकोॅ केॅ देखी केॅ देश-देश ई लागै
जीत्तोॅ गैया केॅ छीलै जों मिली-जुली जल्लाद
चमड़ी-बोटी-हड्डी सबसेँ आकरोॅ भरतै नाद
श्मशानोॅ मेँ कफन खरीदै-बेचैवाला जागै
सद्दामोॅ सेँ पूछोॅ कहतौं-के यमराज भतीजा
कौने चोभै दिन्हैं नरेठी बनी-बनी केॅ जीजा।