मुलुक लौटे रोॅ सपना / शिवनारायण / अमरेन्द्र
देशोॅ केरोॅ प्रथम पुरुष ई बोलै छै
सपना देखोॅ
किसिम-किसिम के सबठो सपना
नै देखवोॅ सपना केॅ
ई अपराध कहैतै
घोर राष्ट्रीय अपराध।
हुनी कहै छै
कि पचास सालोॅ में, जे छै आबै वाला
सपनौ देखी
करलोॅ जैतै ई देशोॅ केॅ
दुनियाँ में सबसें ही उत्तम राष्ट्र।
हुनी कहै छै
सपनै में छै
सब भविष्य के सुख
शक्ति आरो सब सम्पत के सुख
वर्तमान के त्रासदियों सें
मुक्ति दै के सुख
आगिन, पानी हवा माँटी सें
मंगल तांय पर
धाक जमाबै केरोॅ सुख
हुनी कहै छै-सपना देखोॅ
किसिम-किसिम के सबठो सपना
जिनगी में कुछुवो भी करियौं
कुछुवो देखियौं
वै सब में सब्भे सें ऊपर सपने होवेॅ
रंग-बिरंगा आरो गुदगुदो ठो सपना
चाँद-सितारा के दुनियाँ सें
मंगल तांय के सैर-सपाटा रोॅ सपने ठो
की देखवोॅ लाचार दादी केॅ
आकि हामिद के चिमटा केॅ
देखोॅ तेॅ माइकल जैकसन के
दुनिया देखोॅ
मस्त करै वाला ठो सपना।
खुल्लोॅ-खुल्लोॅ आवै छै
सब सपना रोॅ संसार
खिल्लोॅ-खिल्लोॅ देखौ नी
परदेशी ठो बाजार
कल तांय जे कि पढ़ाबै छेलै
रामराज-स्वदेशी केरोॅ पाठ
यही दिखावै आय काल छै
‘फीलगुड’ के ठाठोॅ सथें ‘इंडिया साइनिंग’
देखथैं-देखथैं
अपनोॅ टा भारत ई मधुमय देश
मीनाबाजारे रं बनलोॅ छै सपना के
जानेॅ कत्तेॅ तेॅ
विकसित देशोॅ के व्यापारी
सपना रोॅ दुकान सजैलेॅ
बैठलोॅ होलोॅ
बेचारा गोबर अपनी कनियैनी
झुनियां केरोॅ हाथ थामनें
ऊ दुकान सें ऊ दुकान के
चाकर बनलोॅ
आपनोॅ बाबू
होरी के तर्पण में लागलोॅ
आरो धनिया माय ओकरी
अभियो तक छै होनै बैठली
बेटा लेली
दूर मुलुक से लौटे के सपना देखै छै।