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मुश्किलों की यही हैं बड़ी मुश्किलें / नीरज गोस्वामी

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मुश्किलों की यही हैं बड़ी मुश्किलें
आप जब चाहें कम हों, तभी ये बढ़ें

अब कोई दूसरा रास्ता ही नहीं
याद तुझको करें और जिंदा रहें

बस इसी सोच से, झूठ कायम रहा
बोल कर सच भला हम बुरे क्यूँ बनें

डालियों पे फुदकने से जो मिल गयी
उस ख़ुशी के लिए क्यूँ फलक पर उड़ें

हम दरिन्दे नहीं गर हैं इंसान तो
आइना देखने से बता क्यूँ डरें ?

ज़िन्दगी खूबसूरत बने इस तरह
हम कहें तुम सुनो तुम कहो हम सुनें

आके हौले से छूलें वो होंठों से गर
तो सुरीली मुरलिया से ‘नीरज’ बजें