भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुश्किल समय / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लिखने के डेस्क पर खड़े-खड़े
खिड़की से देखा मैंने बगीचे में एल्डर बेर का झाड़
और उसमें कुछ लाल और कुछ काला सा

और मुझे अचानक याद आ गए वे एल्डर
मेरे बचपन में आउग्सबुर्ग के ।
 
कई मिनटों तक मैं सोचता रहा
पूरी संजीदगी के साथ,
कि मैं मेज़ के पास लौट जाऊँ
अपनी ऐनक लाने के लिए,

ताकि फिर एक बार
लाल शाखों पर लटके काले बेर देख सकूँ ।

(1955)

मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य