मुसीबत में हमेशा साथ जो देता रहा होगा
मैं अक्सर सोचती हूँ वो ख़ुदा या देवता होगा
छुपें वो लाख नज़रों से रहें वो लाख पर्दों में
किसी दिन तो हज़ारों और उनका सामना होगा
खुशी को खोजती है तू जो सुहबत में हसीनों की
तो दामन तेरा रुसवाई से भी इक दिन भरा होगा
नहीं आदत मेरी कहानी किसी को बात कुछ बढ़कर
समझना मेरी मजबूरी जो मैंने कुछ कहा होगा
किसी दुख दर्द के मारे हुए का हाथ भी थामा
किसी दिन हमको अपने आपसे ये पूछना होगा।