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मुस्की ने आबि सकतै कहिथो ई ठोर पर / बाबा बैद्यनाथ झा

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मुस्की ने आबि सकतै कहिथो ई ठोर पर
जिनगी कोना बितयबै आँखिकेर नोर पर

कनि´े दया तँ करियौ जिनगी कठोर पर
कहियो ने लोभ हमरा अनकर करोड़ पर

भरि पेट अन्न हमरा हेतै नसीब कहिया
बितलै उमेर हमरो डोकाक झोर पर

पैसाक युग आयल गुणक ने मोल होइछ
दुनियाँ तँ मरि रहल अछि कारी आ गोर पर

चेफरी पहिरि रहबै इज्जति ने हम गमयबै
नीयत ने हम डिगयबै ककरो पटोर पर

जनमे हमर भेलैए आफत जुलुम सहऽ लए
आङुर ने उठतै ककरो जुल्मी आ चोर पर