फिर से कोई धीरे धीरे पास आने लग गया
मसअला ये है कि मैं भी मुस्कुराने लग गया
कुछ क़दम तक साथ देने वाले तेरा शुक्रिया
तूने ठुकराया तो होश अपना ठिकाने लग गया
छोड़कर जलती हुई या रब मेरे हिस्से की आग
तू कहाँ गैरों की चिंगारी बुझाने लग गया ?
सबके दरवाज़े से होकर लौट आया मेरा दुःख
शाम जब ढलने लगी मेरे ही शाने लग गया
जाम, कश, आवारगी, तनहाइयाँ सब था वहॉं
यार तू भी वक्ते-रुखसत क्या सुनाने लग गया ?