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मुहब्बत की कहानी में सदा ये ही हुआ होगा / नित्यानन्द तुषार
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मुहब्बत की कहानी में सदा ये ही हुआ होगा
खुश़ी, सपने, तड़प, आँसू, गम़ों का सिलसिला होगा
किसी की आँख में आँसू किसी के होंठ पर सरगम
किसी का दिल जला होगा किसी का घर बसा होगा
युगों से हम भटकते हैं तुम्हारे वास्ते देखो
तुम्हारा नाम दिल पर तो ख़ुदा ने ही लिखा होगा
तुम्हें शायद कभी इस बात का अहसास भी होगा
कि मर-मरकर यहाँ पर भी कभी कोई जिया होगा
नहीं कोई कमी हममें जरा-सा .फर्क ये होगा
हमारे घर अँधेरा है वहाँ दीपक जला होगा
'तुषार' उसकी मुहब्बत का करिश्मा ये हुआ होगा
न हो पाया जो उसका, वो, उसी का हो गया होगा