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मुहब्बत से ज़रा हँस दो / कैलाश झा 'किंकर'

मुहब्बत से ज़रा हँस दो
तुम्हीं से आशना हँस दो।

नहीं रूठो घुमाकर मुँह
ये चिलमन को हटा हँस दो।

नदी उमड़ी तुम्हीं से हैं
फ़लक की ऐ घटा हँस दो।

नहीं है बेवफाई यह
दिलों की है सदा हँस दो।

बहुत मुश्किल से मिलते दिल
अदावत को मिटा हँस दो।

पराये हम नहीं हैं जब
हँसो दिल बाबरा हँस दो।