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मुहाने पर नदी और समुद्र-11 / अष्टभुजा शुक्ल
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समुद्र के
खुले मुँह में
कभी
बालू झोंक देती है नदी
तो समुद्र बन्द कर लेता है
अपना मुँह
समुद्र के
कानों में
कभी चिल्लाती है नदी
तो अँगुली डाल लेता है समुद्र
अपने कानों में
समुद्र की त्वचा पर
कभी फैक्टरियों के शीरे
और प्रयोगशालाओं के एसिड
उड़ेल देती है नदी
समुद्र उदासीन कर देता है उन्हें
अपनी लवणता से