Last modified on 28 अगस्त 2013, at 00:51

मुहाने पर नदी और समुद्र-6 / अष्‍टभुजा शुक्‍ल

नदी
ऊपर से नीचे
गिरती रही लगातार
बदलती रही
अपना रूप-स्वरूप
और बहती रही

दिशाहीन रहा समुद्र
समूचा जोर लगाकर
चाह रहा था बहना
लेकिन गरज-तरज कर
रह जाता
अपनी मर्यादाओं में
कौन समझता
उसका कहना और उछलना

नदी, नदी थी
तो समुद्र, समुद्र