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मून रो मतळब / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
फगत हामळ कोनी हुवै
मून
विरोध पण हुवै।
मून में गूंजै
विरोध रा सुर
नीं, म्हैं कोनी
सामल
थारै दल में
छळ में
न्यारो हूं
केई ठौड़
साम्हीं पण हूं।
मून में
भींचीज सकै
मुठ्यां
राती करीज सकै
आंख्यां
हंकारै री ठौड़
'नकार' में हाल सकै
नाड़।