भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मूसोॅ आरो मामा / अमरेन्द्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मूसोॅ खैलकै कपर-कपर
बिल्ली खैलकै चपर-चपर
दादां खैलकै गपर-गपर
मामा खैलकै हपर-हपर
कुतबो खाय मुस्तण्डा छै
बाँकी खाय लेॅ डण्डा छै ।