भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मृत्यु-परी से / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मृत्यु आओ —

हम तैयार हैं !

मत समझो

कि लाचार हैं ।


पूर्व-सूचना

दोगी नहीं क्या ?

आभार मेरा

लोगी नहीं क्या ?


आओगी -

बिना आहट किये

आश्चर्य देती !

नटखट बालिका की तरह !


ठीक है,

स्वीकार है !

मेरी चहेती,
तुम्हारा खेल यह
स्वीकार है !

चुपचाप आओ,

मृत्यु आओ

हम तैयार हैं !


अच्छी तरह

समझते हैं —

कि जीवन-पुस्तिका का

उपसंहार हो तुम !

इसलिए —

मेरे लिए

पूर्णता का

शुभ-समाचार हो तुम !


आओ,

मृत्यु आओ,

हम तैयार हैं !

प्रतीक्षा में तुम्हारी

सज-धज कर

तैयार हैं !