भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मृत्यु का घोषणा-पत्र / भी० न० वणकर / मालिनी गौतम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुमने मुझसे
शस्त्र गढ़वाए
शास्त्र लिखवाए
घर और मन्दिर चुनवाए
खेत और कुएँ खुदवाए
कपड़े बनवाए
चमड़े कटवाए
गलियाँ और पाख़ाने साफ़ करवाए

फिर मुझे धिक्कारा, तिरस्कृत किया
और गुलाम बनाया
मेरे होने के
सारे सबूत नष्ट करने के लिए
मुझे जीते जी कत्ल कर दिया
परछाई सहित मुझे जलाया

बस इसी तरह
तुम मुझे मारते रहे
और मैं मरता रहा

अफसोस!
तुम्हारी इन वीभत्स रस्मों को
चुपचाप सहने के बजाय
यदि मैंने
जोर-जोर से चीख़ कर
बगावत की होती तो

आज इतिहास को खून की स्याही से
मेरी "मृत्यु का घोषणापत्र"
लिखने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
  
अनुवाद : मालिनी गौतम