भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मृत्यु के सपने में / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अचानक चौंक कर
जागूँगा गहरी नींद
और नहीं पाऊँगा
अपने बिस्तर पर ख़ुद को
—नहीं, खो गया नहीं
                  होऊँगा
सोने को चला गया हूँगा
मृत्यु के सपने में
                  चुपचाप—
सच करने उस को ।

14 जुलाई 2009