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मृत इच्छायें / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

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अब कोई
दर्द नहीं खलता है
याद नहीं आते हैं रंग,
इन्द्रधनुषी रंग!
दूर, बहुत दूर
आसमानों में
परिस्थिति के पेंचों ने
काट दी
दुलार की
कुलाँचती
पतंग!