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मेंहदी कब परवान चढ़ेगी / निर्मल शुक्ल
Kavita Kosh से
है तो बस, माली की चिंता
कब पौधों में
जान चढ़ेगी
तुझे पता क्या भरते ही दम
कुछ सुलगेंगे
धुआँ बनेंगे
कुछ पर होगी ज़िम्मेदारी
रस पी लेंगे
पुआ बनेंगे
है तो बस, माली की चिंता
मेंहदी कब
परवान चढ़ेगी
मुझे पता है कैसे भी कुछ
सम्मानों की
चाह बनेंगे
कुछ पीपल, कुछ बरगद होकर
बिना कहे
परवाह बनेंगे
है तो बस, माली की चिंता
लौकी कब
दालान चढ़ेगी