मेघमाळ (7) / सुमेरसिंह शेखावत
अन-धन देली रूत अलबेली-मिनखां रै मर मोद।
भरे भादवै मती भुलावो-पावस-पंथ पयोद।
लपक्या आवो लोरां।
कूं-कूं कंवळी काया-झीणा झरो झकोरां।।61।।
लुळ-लुळ लरजै, उड-उड लवकै, लूमां-झूमां लोर।
भर-भर रीतै, फेर भरीजै, गळ-गळ निखरै गोर।
झर-झर झरै झकोरां
प्राण-पपैया पुळकै, मोद बढ़ै मन-मोरां।।62।।
गहडंबर अंबर गहरावै, तोयद तेहांतेह।
कंचन-रेख ऊजळी कोंरां-धपधप दीपै देह।
उभरै तिमिर अंगूरी
गोधूळी गळबांथै, सुबरण सांझ सिंदूरी।।63।।
उरसां सांझ-अधर अरूणाया, मेघां सूरज-मोख।
रातै रंग रूत-जोबन रचियो-सजळावण रै सोख।
घिरसी मेघ घणेरा।
टूट धंसैला टीबा, डैर्या देला डेरा।।64।।
घटाटोप नभ आज, कळायण-घाल्यो घेर-घूमेर।
पिछवा पून फिरै जद ताणी-अब बरसण में देर।
बिरखा मंडी संजोरी।
अन-दन री देवाळ-घड़ी-पुळ काढ़ै दो‘री।।65।।
छाणस भुरियां रो मत छाणै, तिसिया मत तरसाय,
धोरा धापै मिल्यां धपाऊ, बूंदड़ल्यां बरसाय।
पाणी पड़ै पनाळां।
खळ-खळ खाळा खळकै, ताल भरै नौ ताळां।।66।।
परबत सा विकराळ बादळा, घिरिया जबरै जोर,
रिमझिम रा सुर-साज सजाता, बरसै आठंू पोर
गरजै घणा संजोरा।
बस कर ओ हठधरमी-इन्दर, बरजै धोरा!।।67।।
छान-झूंपड़ा चूवण लागै, सूंटो दे झकझोर।
रूं खां रै टूंखां सूं पड़-पड़ मरै बापड़ा मोर।
धरत्यां धंसै ढाळिया।
इण्या-गिण्या बस्ती में-बाकी बचै माळिया।।68।।
कद आंथै, कद उगै-न बेरो, अेकमेक दिन-रात।
आली-गीली माटी, सीलै-खेतड़लां री खात।
अंबर आँख न खोलै।
झड़ में सूरज-चांद-फिरै बादळ रै ओ’लै।।69।।
बंूद-बाण बरसै बोछाड़ां, फांफां-असि फटकार,
झंझावात तणी झुकळायां, ओळा री अडवार
सूंटो करै सफायो।
परकत रै पग-फेरै-रूसै राम रिझायो।।70।।