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मेघा रे मेघा तेरा मन तरसा रे / लम्हें
Kavita Kosh से
रचनाकार: आनंद बक्शी |
मेघा रे मेघा
तेरा मन तरसा रे पानी क्यों बरसा रे
तूने किसको याद किया
तेरा मन तरसा रे ...
तेरे जैसा जी कुछ हाल है मेरा
काले बदरा कि मेरा कजरा खुला रे
मेरा किसने नाम लिया
हो नाम बता दे काम बता दे
क्या कोई काला क्या कोई गोरा
क्या कोई राजकुमरिया
रे बाहें छोड़ो हाँ हाँ
बागों में पड़ गए सावन के झूले
सावन के झूले सखी सावन के झूले
बागों में पड़ गए सावन के झूले
मेरी सखियां मेरी सखियां
ऐसी बतियां करें मेरी अंखियां झुकें
दइय्या रे दिल थाम लिया
मेरा दिल थाम लिया
मेरा मन तरसा रे पानी क्यों बरसा रे
तूने किसको याद किया
मेरा मन तरसा रे पानी क्यों बरसा
एक लम्हे के लिए याद किया