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मेरठ-8 / स्वप्निल श्रीवास्तव
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मैं मेरठ पहुँचना चाहता हूँ
बहुत दिन हुए नहीं गया मेरठ
जब मैं जाता हूँ वहाँ वे
रोक लेते हैं राह
हिकारत से कहते हैं
यह नहीं है तुम्हारा शहर
उनके शब्दों से रक्त की गंध
आती है
वे हत्यारे हैं
लेकिन मैं ज़रूर जाऊंगा मेरठ
मेरठ मेरा शहर है
जैसे यह देश है मेरा