भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरा गाँव गज़ा पट्टी में सो रहा था / अजेय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह आकाश की ओर देखती थी
गाँव की छत पर लेटी एक छोटी बच्ची
दो हरी पत्तियों और एक नन्हें से लाल गुलाब की उम्मीद में
जब कि एक बड़ा सा नीला मिज़ाईल
जिस पर बड़ा सा यहूदी सितारा बना है
गाँव के ठीक ऊपर आ कर गिरा है
जहाँ 'इरिगेशन' वालों का टैंक है
(यह मेरा ही गाँव है)
धमक से उस की पीठ के नीचे काँपती है धरती
(यह मेरी ही पीठ है)

अब क्या होगा?
उस बच्ची ने उम्मीद छोड़ दी है
वह इंतज़ार करती है

दस....
नौ....
आठ....
कच्चे डंगे
सड़ी हुई बल्लियाँ
ज़ंग लगी चद्दरें टीन की
ढह जाएंगी भरभरा कर पल भर में, उम्मीदें
(मैंने ही छोड़ दी थीं तमाम उम्मीदें)
जब कि एक और मिज़ाईल आया है
लहराता हुआ सफेद सफेद सा
वह नदी की ओर चला गया है
जहाँ आई०टी०बी०पी०<ref>आई०टी०बी०पी०(इण्डो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस) : भारत तिब्बत सीमा पर नज़र रखने के लिए यह भारत सरकार के गृहमंत्रालय से सम्बद्ध एक पेरा मिलेट्री फोर्स है। इसके कैम्प सीमान्त हिमालय क्षेत्र के सम्वेदशील स्थलों पर स्थापित किए गए हैं। मेरे गाँव सुमनम के नीचे भी एक ऐसा एक कैम्प है।</ref> का कैम्प है

और एक और, जिस पर बहुत सारे सितारे और धारियाँ हैं
वह केलंग के पीछे कक्र्योक्स<ref>केलंग के ऊपर ज़ंस्कर पर्वत शृंखला पर स्थित ऊँची चोटी। जिसके पीछे तोद घाटी में भागा नदी पर एक मेगा हाईडल प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। तोद घाटी के स्थानीय जन इस बाँध का विरोध कर रहे हैं।</ref> के उस पार गिरा है
जहाँ बहुत बड़ा डैम बन रहा है
चारों ओर सन्नाटा है
न कम्पन है न धमाका है
सुनसान फाट पर इकलौती झाड़ी हिलती है/तूफान में
कल्याष<ref>एक कड़वी एवं कड़ी वनस्पति, जो पशु चारे में प्रयुक्त नहीं हो सकती। सितम्बर के बाद जब घासनियों से सारी नरम घास काट कर समेट दी जाती है तब ढलानों पर इसके इक्के दुक्के डण्ठल खड़े दिख जाते हैं।</ref> का एक सूखा डण्ठल टिका खड़ा है
गाँव के नीचे हाईवे नम्बर इक्कीस पर
बड़ी बड़ी टर्बो इंजन निस्सान गाडिय़ाँ
घसीट ले जा रहे हैं बड़े बड़े बोफोर्ज़ हॉविट्ज़र
जब कि गाँव की छत पर अभी भी
एक छोटी सी उम्मीद सोती होगी
मिज़ाईलें बरसाता होगा गाँव का आकाश अभी भी
और एक छोटी बच्ची
अपने कलर बॉक्स में मिलान करती होगी
ऑलिव, मेटालिक, पर्पल, सिल्वर
मिज़ाईलें और पेंसिलें एक सी हैं

सात...
छह...
पांच... चार...
मेरे मन में उल्टी गिनती चल रही है
जब कि अभी तक कोई मिज़ाईल नहीं फटा है
अभी तक गाँव में ब्लैक आऊट नहीं हुआ
फिर भी वह बच्ची छटपटा रही है
सपने से बाहर आने के लिए
प्यारी बच्ची, मैंने तेरे लिए कितने खराब सपने बुन लिए हैं!


शब्दार्थ
<references/>