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मेरा गीत चिड़ियों के शक़्ल में होगा / विपिन चौधरी
Kavita Kosh से
मैं अपने एकान्त को
गर्म रेगिस्तान में रोप
दूर तक पसरे हुए रेत में बैठ
इन्तज़ार करूँगी
मेरा प्रेम
कविता की
शक़्ल में होगा
गीत
चिड़ियों की शक़्ल में
जीवन
मेरी दायीं कलाई के इर्द-गिर्द घूमेगा
जो देर तक तुम्हारे
पकड़े रहने की वजह से अभी भी रक्तिम आभा में है
तुम्हें आज बता ही दूँ कि
तुम्हारे चले जाने के बाद
मैं एक ज़िद्दी धुन में बदल जाती हूँ
और तुम्हारी स्मृति
एक घासलेटी आखेट में