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मेरा गीत नही बस मेरा / राजेश गोयल
Kavita Kosh से
वो मेरा बस दर्द भी मेरा, मेरा गीत नहीं बस मेरा।
मेरा स्वप्न नही बस मेरा, मेरा गीत नहीं बस मेरा॥
उसके नयनों मे मिलती,
मीठे सपनों की भाषा।
मेरी साँसों में पलती,
नूतन अनुपम अभिलाषा॥
वो मेरी साँसों में रहता, मेरा गीत नहीं बस मेरा।
वो मेरा बस दर्द भी मेरा, मेरा गीत नहीं बस मेरा॥
आँसू से भीगी आँखे भी,
सपनों में मुस्काती।
दर्द भरी साँसे अपनी
गीत प्यार के गाती।
वो मेरे गीतों में रहता, मेरा गीत नहीं बस मेरा।
वो मेरा बस दर्द भी मेरा, मेरा गीत नहीं बस मेरा॥
वो मेरी पीड़ा सा मादक,
और मेरा सपना कोमल।
वो मेरी आखांे में रहता,
और मेरे मन में निश्चल॥
वो मेरे प्रश्नों में रहता, मेरा गीत नहीं बस मेरा।
वो मेरा बस दर्द भी मेरा, मेरा गीत नहीं बस मेरा॥