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मेरा गीत वतन के लिए / नवीन कुमार सिंह

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ना ही भँवरे, कली, ना सुमन के लिये, गीत मेरा है मेरे वतन के लिए
बस तेरी धूल से हो तिलक शीश का, रक्त मेरा तेरे आचमन के लिए

गोद में तेरे पाएं है दोनों जहाँ, मेरे कर में भी है, तेरे नामो निशाँ
तेरे आँचल में ममता मिली है मुझे, छोड़कर मैं तुम्हे जा सकूंगा कहाँ
नाम तेरा है काफी भजन के लिए, गीत मेरा है मेरे वतन के लिए

देख लो विश्व में हम भी छाने लगे, जीतकर हम पदक, घर पे लाने लगे
तेरे आशीष का फल है ऐसा मिला, चाँद पर भी तिरंगा सजाने लगे
जग झुकाएगा सर, अब नमन के लिए, गीत मेरा है मेरे वतन के लिए

बीज नफरत का बोये कोई गर यहाँ, उनका बसने न देंगे कभी घर यहाँ
तेरे दामन में खुशियाँ ही खुशियाँ रहे, यूँ बदल देंगे हम अब ये मंजर यहाँ
देंगे खून ए जिगर इस चमन के लिये, गीत मेरा है मेरे वतन के लिए