मेरा जनाज़ा / नाज़िम हिक़मत / असद ज़ैदी
क्या मेरा जनाज़ा नीचे मेरे आँगन से शुरू होगा ?
तुम मेरे ताबूत को तीन मँज़िल नीचे कैसे लाओगे ?
लिफ़्ट में वह समाएगा नहीं और ज़ीना इतना तँग है
आँगन में शायद घुटने भर धूप होगी और होंगे कबूतर
आँगन में शायद बर्फ़ होगी और होंगी बच्चों की चीख़-पुकार की आवाज़ें
या फ़र्श शायद चमकता होगा बारिश में
और कूड़ेदान पड़े होंगे इधर-उधर बिखरे हुए
अगर यहाँ के रिवाज के मुताबिक़ मैं यहाँ से गया
चेहरा आसमान की तरफ़ खुला हुआ
कोई कबूतर मुझ पर बीट कर सकता है जो कि मुबारक निशानी है
बैण्ड बाजा यहाँ पहुँचे न पहुँचे, बच्चे ज़रूर मेरे क़रीब आएँगे
बच्चों को पसन्द हैं शवयात्राएँ
मैं जा रहा होऊँगा तो किचन की खिड़की मुझे ताकती होगी
बाल्कनी में सूखते कपड़े हिलते हुए करेंगे मुझे अलविदा
मैं यहाँ ख़ुश था, कल्पनातीत ढंग से ख़ुश
दोस्तो, तुम सबकी लम्बी उम्र हो
और ताज़िन्दगी तुम शादमान रहो ।
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(मॉस्को, अप्रैल 1963 )
नाज़िम हिकमत की शायदअन्तिम कविता।
तुर्की से अँग्रेज़ी में रैंडी ब्लेसिंग और मुतलू कोनुक के अनुवाद पर आधारित।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी