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मेरा जीवन तुम्हें समर्पित / विशाल समर्पित
Kavita Kosh से
मेरा जीवन तुम्हे समर्पित
तुम भोर की अरुणिम किरणों सी
तुम वन की चंचल हिरणों सी
तुम धूल हो पावन चरणों सी
तुम फूल हो सुन्दर तरुणों सी
तुम मंदिर की मूरत सी पावन
पावन मस्जिद की इनायत सी
वेदों की ऋचाओं सी पावन तुम
पावन कुरान की आयत सी
निराशाओं के घोर तिमिर में
प्रेम का दीपक तुम पर अर्पित
मेरा जीवन तुम्हे समर्पित
तुम माथे पर लट बिखरी सी
तुम हाँथ मे मेंहदी निखरी सी
तुम मुख पर भौहें उभरी सी
तुम आँख में फैली कजरी सी
तुम पावन सावन की बिजुरी सी
पनघट की अधजल गगरी सी
तुम तपती रेत मे बदरी सी
बरसात मे निकली छतरी सी
आँखों से बरसे हर बादल की
बूँद-बूँद तुमको प्रत्यर्पित
मेरा जीवन तुम्हे समर्पित