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मेरा दिल अब आज़माया जाएगा / शमशेर बहादुर सिंह
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मेरा दिल अब आज़माया जाएगा
मुफ़्त इक महशर उठाया जाएगा
जाने-जाँ यह ज़िन्दगी होगी न जब
ज़िन्दगी से तेरा साया जाएगा
आज मैं शायद तुम्हारे पास हूँ
और किसके पास आया जाएगा
कौन मरहम दिल पे रक्खेगा भला
ज़ख़्मे - दिल किसको दिखाया जाएगा
मेरे सीने से लिपट कर सो रहो
आरज़़ूओं को सुलाया जाएगा