भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरा दुश्मन है दोस्त से अच्छा / रोशन लाल 'रौशन'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरा दुश्मन है दोस्त से अच्छा
मेरे दुख में मुझे जो दे ढारस

शेर जैसे अजान सहरा की
शब्द जैसे अकाल में सारस

गुफ़्तगू-गुफ़्तगू खरा खोटा
इक कसौटी न एक भी आरस

एक ही शेर दफ़्तरे-मानी
एक ख़य्याम से कई फ़ारस

शुद्ध लोहा भी चाहिए 'रौशन'
हाथ लग भी जाए अगर पारस