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मेरा नाम है आज़ादी... / मराम अल मासरी / देवेश

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— तुम कहाँ से हो ?
— सीरिया से ।

— सीरिया के कौन-से शहर से ?
— मैं पैदा हुई दारा में और होम्स में बड़ी हुई,
— मैंने अपनी जवानी बिताई लताकिया में,
— मैं फली बनियास में,
— फूली दीर अज़-ज़ोर में और हमा में जलाई गई व भभकी इदलिब में,
— प्रज्वलित हुई अल-कमीशली में
— क़त्ल हुई दर’आ में ।

— कौन हो तुम ?
— मैं वो हूँ जिसे डर है ।

— कौन इसे तय करेगा ?
— कौन इसे उठाएगा ?

— कौन इसे भड़काएगा?
— मैं वो ...।

— मैं वो हूँ जिसके गुज़रने से दिलों के पेड़ में पत्तियाँ खिल जाती हैं ।
     पहाड़ जिसकी भव्यता के आगे झुक जाते हैं ।
     जिसके लिए इतिहास सर के बल खड़ा हो जाता है ।
     धरती जिसके लिए सूरज के रँग बिखेर देती है ।

     मैं वो हूँ ...

            जो तानाशाह के मुँह पर चीख़ती है, चिल्लाती है ।
            मैं वो हूँ जो वीरों के दिलों-दिमाग के सिवाय नहीं रहती कहीं बन्धकर
            और नायकों के ह्रदय के अलावा नहीं जानती कुछ भी ।
     
मैं वो हूँ जो समझौते नहीं करती, न कभी बिकती है ।
     मैं रोटी हूँ ज़िन्दगी की और उसका दूध ।
     मेरा नाम है
     आज़ादी...।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश