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मेरा प्रियतम आया है बावन साल बाद / तारा सिंह
Kavita Kosh से
- बैठो न अभी पास मेरे
- थोड़ी दूर ही रहो खड़े
- मेरा प्रियतम आया है
- दूर देश से बावन साल बाद
- कैसे कह दूँ कि अभी धीर धरो
- शशि - सा सुंदर रूप है उसका
- निर्मल शीतल है उसकी छाया
- झंझा पथ पर चलता है वह्
- स्वर्ग का है सम्राट कहलाता
- मेरी अन्तर्भूमि को उर्वर करने वाला
- वही तो है मेरे प्राणों का रखवाला
- जब इन्तजार था आने का
- तब तो प्रिय आए नहीं
- अवांछित, उपेक्षित रहती थी खड़ी
- आज बिना बुलाए आए हैं वो
- कैसे कह दूँ कि हुजूर अभी नहीं
- दीप शिखा सी जलती थी चेतन
- इस मिट्टी के तन दीपक से ऊपर उठकर
- लहराता था तुषार अग्नि बनकर
- भेजा करती थी उसको प्रीति,मौन निमंत्रण लिखकर
- आज कैसे कहूँ कि वह प्रेमी-मन अब नहीं रहा
- जिससे मिलने के लिए ललकता रहता था मन
- वह आकर्षण अब दिल में नहीं रहा