भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरा फूल नहीं खिलता है / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरा फूल नहीं खिलता है,
सूने और अकेलेपन में,
सूनेपन के जर्जर वन में,
बंध्या धरती के आँगन में।

मेरा फूल सदा खिलता है,
ऊँचे चौड़े वक्षस्थल पर,
कर्मठ हाथों के करतल पर,
युग के बजते
पल प्रतिपल पर।

रचनाकाल: ३०-०७-१९५३