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मेरा भी कोई / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’


जब मैं रुका
सोचकर अकेला
कि कौन मेरा?
तभी आवाज़ आई
‘इस जग में
है मेरा भी तो कोई
जो बिना बोले
मन की किताब का
हर आखर
साफ़ बाँच लेता है
किसी कोने में
दुबक जाए दु:ख
जाँच लेता है ।
उसका नेह-स्पर्श
टूटती साँस
हृदय की प्यास को
देता जीवन
यह अपनापन
बनता धड़कन।’
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