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मेरा राँझा हुण कोई होर / बुल्ले शाह

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मेरा राँझा हुण कोई होर।

तखत मनव्वर बाँगाँ मिलीआँ,
ताँ सुणीआँ तखत लाहौर।
इशके मारे ऐवें फिरदे,
जिवें जंगल दे विच्च ढोर।
राँझा तखत हज़ारे दा साईं,
हुण ओत्थों होया चोर।
बुल्ला शाह असाँ मना नाहीं,
कबर धाए कोई होर।

मेरा राँझा हुण कोई होर।

शब्दार्थ
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