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मेरा शहर जैसे की एक युद्ध क्षेत्र है / रोहित ठाकुर

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सामान्य से असामान्य होना
अनायास होता है
मेरे शहर में
हम सब साधारण लोग हैं
ऐसा ही सोचते हैं
उन लोगों पर विश्वास करते हैं
जो यह बयान देते हैं कि
हमें बचाने के लिये शांति के प्रयास जारी हैं
मेरा शहर भय की एक सभ्यता का विकास है
जहां चांद किसी पुराने दीवार के प्लास्टर की तरह झड़ता है
एक मुस्कुराता चेहरा इस युग का विषय वस्तु नहीं है
हमारे लिए इन दिनों यह महत्त्वपूर्ण नहीं है
कि धरती अपने अक्ष पर घूम रही है
और हवा रेत में बदल गयी है
एक शरणार्थी शब्द तकनीकी रूप से हमें
बेदखल करता है इस धरती से