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मेरा साथ दो / राजर्षि अरुण
Kavita Kosh से
घायल हो गया हूँ मैं
समय ने छला है मुझे
एक तुम हो कि
चमड़ी हटे भाग को
बार-बार छूते हो
खेलते हो मेरे घाव से
मुस्कुराते हो
जब-जब भी मैं
कराहता हूँ दर्द में
प्यार की परिभाषा के इस पक्ष को
समझना चाहता हूँ मैं सचेतन
मेरा साथ दो ।
अँधेरे के गर्भ में पल रहे
श्वेत अणुओं से
कुछ सार्थक सवाल करना चाहता हूँ मैं
जानना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ होने की पीड़ा की समय-सीमा
सुलझाना चाहता हूँ मैं
तुम्हारी मुस्कुराहट की अबूझ पहेली
मेरा साथ दो ।