भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरा स्कूल / प्रकाश मनु

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झटपट-झटपट चल री बस
दूर जरा मेरा स्कूल,
हाँ-हाँ, अब आने वाला है
हरा-भरा मेरा स्कूल।
लो आया, यह रहा सामने
बगिया जैसा जो स्कूल,
इसमें ही मैं पढऩे जाता
इस बगिया के हम सब फूल।