मेरी अनिद्रा के क्षणों में / अफ़अनासी फ़ेत / वरयाम सिंह
मेरी अनिद्रा के क्षणों में, आधी रात की ख़ामोशी में
कड़े तेवर लिए खड़े होते हैं सामने
बीते दिनों के देवता, बीते दिनों के आदर्श
अपनी ललकारती भर्त्सनाओं के साथ ।
मैं फिर से प्रेम करता हूँ, प्रेम करते हैं मुझे भी,
अपने प्रिय सपनों के क़दमों पर चलता रहा हूँ मैं,
पापी हृदय सताता रहा है मुझे
अपने असहनीय अन्यायों से ।
कभी जो मित्र रही देवियाँ
खड़ी हैं सामने कभी मोहक, कभी सख़्त मुद्रा में
लेकिन व्यर्थ है देवियों की तलाश उनके सामने
वे — देवियाँ हैं अपने असली रूप में ।
उनके सामने फिर से घिरा है मेरा हृदय चिन्ताओं और आग से
लेकिन उनकी लपटें नहीं हैं पहले के जैसी
वे जैसे मत्थों की तरह पाखण्ड करते
उतर आई है देवी तलहटी से ।
मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह
और लीजिए, अब मूल रूसी भाषा में यही कविता पढ़िए
Афанасий Фет
В полуночной тиши бессонницы моей…
В полуночной тиши бессонницы моей
Встают пред напряженным взором
Былые божества, кумиры прежних дней,
С их вызывающим укором.
И снова я люблю, и снова я любим,
Несусь вослед мечтам любимым,
А сердце грешное томит меня своим
Неправосудьем нестерпимым.
Богини предо мной, давнишние друзья,
То соблазнительны, то строги,
Но тщетно алтарей ищу пред ними я:
Они — развенчанные боги.
Пред ними сердце вновь в тревоге и в огне,
Но пламень тот с былым несхожий;
Как будто, смертному потворствуя, оне
Сошли с божественных подножий.
И лишь надменные, назло живой мечте,
Не зная милости и битвы,
Стоят владычицы на прежней высоте
Под шепот презренной молитвы.
Их снова ищет взор из-под усталых вежд,
Мольба к ним тщетная стремится,
И прежний фимиам несбыточных надежд
У ног их всё еще дымится.
3 января 1888