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मेरी अन्तरात्मा में क्या है / अमिताभ बच्चन
Kavita Kosh से
मेरी अंतरात्मा में क्या है
कुछ ज़रूरी सिक्के
कुछ और सिक्कों के आने की उम्मीद
धनिकों का लोकतन्त्र
वंचितों का अमानवीय जीवन
धनिक बनने की मेरी अनिच्छा
एक खिन्न असन्तुष्ट आदमी
एक आसान मौत पाने की योजना
मालिक का एक बिगड़ा हुआ नौकर
नीचतापूर्ण तुच्छ कार्यों की निस्सारता से आहत
शोषितों के संघर्ष और पराजयों को
सुरक्षित दूरी से निहारता
एक बौना
एक कापुरूष
वंचितों के एक विराट विद्रोह की कामना
जो मेरी नकली उदारता, लघुता, पापबोध और अवसरवादिता से मुक्त कर दे
मैं बेचता रहता हूँ सस्ते में
अपनी अन्तरात्मा
जब सिक्के पूरे नहीं पड़ते
अनिच्छाएँ कवच हैं
मेरी अन्तरात्मा की
फल-फूल रही हैं
जिसमें मेरी शाश्वत निराशाएँ
और धनिकों का लोकन्त्र